नज़रे मिली पर इशारा मिला नही
बेरूखी हुई पर हुआ कोई गिला नही
कोई हरक़त जिसपे इक जूस्तजू आए
उसके आने से पहले उसकी खुश्बू आए
चली अब तक है कोई हवा नही...
बिन हवा ही आँचल उड़ा
बिन पूछे दिल उसकी ओर मुड़ा
ओस से गीली घांस है जैसे
सोच भीगी है उसके आस से ऐसे
हटा अभी तक है इकरार का धुआ नही...
उसने अब तक दिल को छुआ नही
इश्क़ अब तक हुआ नही
पर फ़ासले कम हो रहे हैं
सपने आँखों को चुभो रहे हैं
माँगी अब तक है कोई दुआ नही...
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