Thursday, June 27, 2013

दास्तान

अपने सवालों का खुद ही जवाब देते हो,
सूखी आँखों मे अश्कों का सैलाब लेते हो

मुस्कुराहट को इकरार का नाम दे के
ख़ामाखा ही आहें बेताब लेते हो

रंगीन मिजाज़ और भी हैं मेले मे, ख़याल रहे
तुम ही नही जो मदद-ए-नक़ाब लेते हो

आँखों से शुरू हुई, वहीं ख़त्म हो गई,
जाने दिल से किस दास्तान के हिसाब लेते हो

राहें वहीं हैं, मोड़ वही, मौसम भी एक सा
बदलती है ज़िंदगी जब पहला कदम नायाब लेते हो

Wednesday, June 26, 2013

थोड़ी खिड़की खोलो

थोड़ी खिड़की खोलो, हवा आने दो
रुआसा दिन है, निकल जाने दो

दो दिन का सुरूर कुछ रोज़ ही रहता है
बरसों की तिश्नगी को सवर जाने दो

सफ़र मे शुरू हुई चिंगारी से जो
इस चाहत की आग मे जल जाने दो

बारिश का मौसम आएगा जाएगा
दिल के दरिया को भर जाने दो

तुम्हारे इकरार पे जान अटकी है

एक साँस लेने दो, मार जाने दो

Monday, June 24, 2013

कुदरत का ज़ोर है

कुदरत का ज़ोर है
हो रहा जो शोर है

साँसें थोड़ी, आहें बढ़ती जा रही हैकुदरत का ज़ोर है
कुछ इंसानो को इसमे भी मुनाफ़े होड़ है

गुस्ताख़ी है आदमी की
सज़ा काटता कोई ओर है

नाराज़ आसमान, ख़फा ज़मीन
बेरहेमी का ना अंत ना कोई छोर है

इंसान मरे, इंसानियत ख़त्म हुई

इस रात की क्या कोई भोर है?

सोहबत

रूठने की आदत नही उनकी
रुकती मुस्कुराहट नही उनकी

हमे सवाल पूछना नही आता
और दिल खोलने की फ़ितरत नही उनकी

लोग मेरा नाम ले के नसीहत देते हैं
अच्छी सोहबत नही उनकी

वो हमसे दिल लगा बैठे इश्क़

आई ऐसी बद-नौबत नही उनकी

Thursday, June 20, 2013

तक़दीर



जो दुआ मे माँगी थी तक़दीर की तरह
बाँध गयी मुझे ज़ंजीर की तरह

बेनज़ीर होने का इक ये भी तरीका है
घुल जाओ ज़हेन मे रंग-ए-तस्वीर की तरह

लफ़्ज़ों पे क़ाबू रखना है मुनासिब
लड़कपन मे चुभ जाते है तीर की तरह

साथी ना बन सका मेरा कभी मगर
वो साथ ही रहा मेरे ज़हीर की तरह

कहीं एहसास नही हैं, कभी अल्फ़ाज़ गुम
पुराने काग़ज़ पे किसी अधूरे तदबीर की तरह

मासूमियत और बे-फ़िक्री मे थोड़ा फ़र्क है
होश को संभालो अपने ज़मीर की तरह


- ishQ
20th June 2013

Wednesday, June 19, 2013

इब्तिदा

आज एक नई इब्तिदा हो
तुम वही, पर नयी अदा हो

चाहने वाले तो बहुत हैं तुम्हारे
कुछ यूँ करो, के तुम खुद फिदा हो

वादियाँ खोले खड़ी है बाहें
गूँज तुम्हारी है, चाहे कोई सदा हो

क्यों खोजते हो कोई अपने जैसा?

तुम जहाँ मे सबसे जुदा हो

Tuesday, June 18, 2013

परदा

खुद से परदा बार बार करते हो
क्यों नही खुद पे एतबार करते हो?

तुम्हे भी इल्म है ज़िंदगी का
क्यों हक़ीक़त से बँध अबसार करते हो?

खुद को सज़ा दे के क्या मिलेगा तुम्हे?
किस मक़सद से खुद पे वार करते हो?

महफ़िल सजी है मिलने मिलाने को
ये क्या पिंजरा तेयार करते हो?

खुद से बातें करना अच्छी बात है
पर यूँ नही जैसे तुम ना-गवार करते हो

हथेली थाम लो खुशी का दौड़ के

क्या झिझक है, क्यों इंतेज़ार करते हो?

सैलाब

राह मे चलते हुए एक जनाब मिल गये
भूले हुए, खोए कुछ ख्वाब मिल गये

यादों के सिरे ले के दो कदम पीछे जो चले
ज़िंदगी के कुछ अधूरे हिसाब मिल गये

खुद से भी पूछने से घबराते थे हम
आज उन सब सवालों के जवाब मिल गये

तूफ़ानो मे फ़ासले तय करते गये,
अचानक, आज पुराने कुछ सैलाब मिल गये

उम्मीद मे उठाए रहते थ हाथ
दुआओं को आज सवाब मिल गये

सालों चली सर्द हवा जुदाई की
आज की मुलाक़ात मे मुद्दत के ताब मिल गये


Monday, June 17, 2013

मौसम बदल गया

वो याद आए, मौसम बदल गया
पानी बरसा और जिस्म जल गया

ख़यालों मे रात कट गई
सोचते हुए दिन निकल गया

मुद्दतों किया इंतेज़ार जिसका
आप मिले, गुज़र वो पल गया

नज़र मिली, नज़र झुक गई
वो मुस्कुराए, दिल बहेल गया

इक कसक उठी आरज़ू-ए-दिल से
इक कसम याद आई, इश्क़ संभल गया



Majboori

हंसता-खिलखिलाता, बेहिचक इठलाता,
धरती से जोड़ते हुए, बूँदों का नाता,
अपनी ही धुन मे चला, एक पागल,
चला अपनी ही ज़िद पे, एक बादल

थोड़ी नमी, थोड़ा पानी लिए,
थोड़ा सा बचपन, थोड़ी जवानी लिए.
ज़रा सा बरसता, गरजता हुआ,
तंग करता हुआ, उड़ान भरता हुआ,
कभी हवा का धक्का, कभी बूँदों का भार,
कहीं गरज के डराना, कहीं हल्की सी फुहार.
बादल मस्त उड़ा जा रहा था, कोई भी उसे ना रोक पा रहा था...

इधर बादल सोच मे था,
क्या और बादलों से मिल के बनाए काफिला एक बड़ा सा?
या अकेले ही बहे, ओढ़ के आसमान की चादर?
नादान बादल इसी असमंजस मे पड़ा था...

बिन धूप लगे भी था रंग बादल का सांवला !
और सफेद चमकीले हीरे लूटा रहा था बावला !
  
बारिश रुक गयी, वो बादल पानी सा बह गया

पर गाल पे मेरे उसकी याद मे एक बूँद रह गया...

इश्क़ संभल गया



वो याद आए, मौसम बदल गया
पानी बरसा और जिस्म जल गया

ख़यालों मे रात कट गई
सोचते हुए दिन निकल गया

मुद्दतों किया इंतेज़ार जिसका
आप मिले, गुज़र वो पल गया

नज़र मिली, नज़र झुक गई
वो मुस्कुराए, दिल बहेल गया

इक कसक उठी आरज़ू-ए-दिल से
इक कसम याद आई, इश्क़ संभल गया

एक बूँद



हंसता-खिलखिलाता, बेहिचक इठलाता,
धरती से जोड़ते हुए, बूँदों का नाता,
अपनी ही धुन मे चला, एक पागल,
चला अपनी ही ज़िद पे, एक बादल….

थोड़ी नमी, थोड़ा पानी लिए,
थोड़ा सा बचपन, थोड़ी जवानी लिए.
ज़रा सा बरसता, गरजता हुआ,
तंग करता हुआ, उड़ान भरता हुआ,
कभी हवा का धक्का, कभी बूँदों का भार,
कहीं गरज के डराना, कहीं हल्की सी फुहार.
बादल मस्त उड़ा जा रहा था, कोई भी उसे ना रोक पा रहा था....

इधर बादल सोच मे था,
क्या और बादलों से मिल के बनाए काफिला एक बड़ा सा?
या अकेले ही बहे, ओढ़ के आसमान की चादर?
नादान बादल इसी असमंजस मे पड़ा था.

बिन धूप लगे भी था रंग बादल का सांवला !
और सफेद चमकीले हीरे लूटा रहा था बावला !


बारिश रुक गयी, वो बादल पानी सा बह गया
पर गाल पे मेरे उसकी याद मे एक बूँद रह गया



इश्क़ अब तक हुआ नही



नज़रे मिली पर इशारा मिला नही
बेरूखी हुई पर हुआ कोई गिला नही
कोई हरक़त जिसपे इक जूस्तजू आए
उसके आने से पहले उसकी खुश्बू आए
चली अब तक है कोई हवा नही......

बिन हवा ही आँचल उड़ा
बिन पूछे दिल उसकी ओर मुड़ा
ओस से गीली घांस है जैसे
सोच भीगी है उसके आस से ऐसे
हटा अभी तक है इकरार का धुआ नही.....

उसने अब तक दिल को छुआ नही
इश्क़ अब तक हुआ नही
पर फ़ासले कम हो रहे हैं
सपने आँखों को चुभो रहे हैं
माँगी अब तक है कोई दुआ नही.....

मैं बे-फ़िक्र हुआ



आपकी हस्ती का कुछ ऐसा असर हुआ
आपके साथ आसान हर सफ़र हुआ

जाने कैसे इतना वक़्त गुज़र गया
हर इंतेज़ार आपकी वजह से मुख्तसर हुआ

आप हो तो कैसे हर चीज़ सुलझ जाती है
इस बात का ताज्जुब मुझे अक्सर हुआ

क्योंकि आप हो ज़िंदगी मे मेरी
मैं हर फ़िक्र से बे-फ़िक्र हुआ

सरहद



कोई ज़िंदगी मे आया है बहार ले के
इनकार की सरहद पे इज़हार ले के

ना गहराई का इल्म है, ना दरमियाँ का अंदाज़ा
दिल का क्या करूँ जो चला है दरिया पार ले के

उस दिन हुआ असर सुरूर-ए-मैखाने का
साक़ी जब आया आँखों मे ख़ुमार ले के

सर्द हवा, प्यासी नज़र, टूटे बोल
जा रहे हैं मेरी इलतेजा बार बार ले के

एक वो हैं जो छुपा रहे हैं उल्फ़त
एक हम हैं खड़े चेहरे पे इश्क़ का इशतहार ले के

फुरक़त



आँखों की जो हरक़त हो गयी है
मासूम दिल की मुसीबत हो गयी है

उसका एक ख़याल इस भीड़ मे आया
हमे दुनियादारी से फ़ुर्सत हो गयी है

वो मुस्कुरा के जो इनकार कर भी गया
ये रुसवाई हमारी शोहरत हो गयी है

जश्न-ओ-मीना-ए-महफ़िल की आदत छूट गयी
हमे तन्हाई-ओ-खामोशी से मोहब्बत हो गयी है

कुछ फ़ासले हैं जो तय करने हैं इश्क़
ना-मुमकिन सी अब ये फुरक़त हो गयी है

यकीन



जाने क्यों वो मुझपे यकीन कर रहा है
अंजाने ही मगर मेरी हस्ती शिरीन कर रहा है

वो मासूम आँखें, वो हसीन चेहरा
दानीस्ता दिल एक गुस्ताख़ी हसीन कर रहा है

कुछ भी कहा नही है और दिल का ये आलम है
ख़ामाखा मौसम-ओ-मिज़ाज रंगीन कर रहा है

बिना मेरी इजाज़त, बड़े मुयस्सर अदाओं से
मेरी ज़िंदगी मे दाखिल इक माह-जबीन कर रहा है

चाहत को जुनून, उसकी तिश्नगी को सुकून
दिल इश्क़ को अपना ईमान-ओ-दीन कर रहा है

इश्क़ पे एहसान



रूह सूखी, दिल परेशान है
भीगे बादलों मे चाँद भी हैरान है

ताकते हैं रात भर आसमान को
टूटे तारे देखना कितना आसान है

उंगली थामे ही निकला था चाँद
जाने रात शाम से क्यों अंजान है?

किरदारों से ज़्यादा दिल ना लगाना
लंबा इंतेज़ार, छोटी दास्तान है

अजनबी शहर अपना, अपने अजनबी हो गये
हर मोड़ अपने रास्ते की पहचान है

दिल मे आग लगा के दामन भीगो गया
बारिश का इश्क़  पे एहसान है

तू मेरी बुनियाद है - for my school



तू मेरी खुदी, तू मेरी बुनियाद है
तेरी सीख ही मेरी जाएदाद है

हर दीवार पे तस्वीर है
हर शाख पे कोई कहानी लटकी है
हर मोड़ पे एक हँसी की गूँज है
हर कोने मे एक शैतानी अटकी है
तेरा हर दिन, तेरी हर रात मुझे याद है
तेरी सीख ही मेरी जाएदाद है....

हर शक़्स तेरे गाँव का मुस्कुराता ही मिला है
हलचल जश्न की कभी थमी नही
हर घर का दरवाज़ा हर एक के लिए खुला है
खुशी की थी कोई कमी नही
तेरी वादियों का बीता कल करता मेरा आज आबाद है
तेरी सीख ही मेरी जाएदाद है....

तेरी खुली बाहें, तेरा खुला आसमान
वो सूखे पत्ते, वो गीला मैदान
तेरी हरी घांस पे ओस की बूंदे
लेना बारिश का मज़ा अपनी आँखें मून्दे
तेरी वजह से मेरी सोच आज़ाद है
तेरी सीख ही मेरी जाएदाद है....


मेरे आने से पहले तू था वहाँ
तू वहीं मेरे जाने के बाद है
मैं जितना दूर चला जाता हूँ
तू आता मुझे उतना ही याद है


रोते हुए, हंसते दिल से है फरियाद अपनी
यूँ ही बाँटता रहे तू जायदाद अपनी

उस शक़्स ने



कुछ यूँ सताया है उस शक़्स ने
भूला एहसास जगाया है उस शक़्स ने

जब उंगलियाँ उठ रही थी हम पे
हाथ बढ़ाया है उस शक़्स ने

हम आस लगाए बैठे थ अंधेरे मे
सहेर को बुलाया है उस शक़्स ने

इक नया दर्द मिला है उसके मिलते ही
इक पुराना ज़ख़्म बुझाया है उस शक़्स ने

महफ़िल मे बचते बचाते ज़माने से
इश्क़ से मिलाया है उस शक़्स ने

ittefaaq



Soch rahi ruki har waqt uske liye
Par apne hi dil pe rahe sakht uske liye

Hazaar koshishon se bhi na hua ikraar-e-haal
ik zikr pe bhi thami saansein yaklakht uske liye

Ik shaam muddaton baad mila vo ittefaaq se
Dhal chuka tha din, guzar chuka tha waqt uske liye

Mulaaqaat pe hanse bhi, kuch roye bhi, izhaar bhi hua
Afsos-e-ishq hi raha kambhakt uske liye

तहसील



साथ उसका मिला तो दिन और भी जमील हो गया
मेरा उजड़ा गाँव ज़ीनत-ए-तहसील हो गया

खुश्क मौसम मे निकला था सफ़र को
इक नज़र उठी और आलम तब्दील हो गया

कल तक रखता था अदावत मेरे खिलाफ
वो खुद आज इश्क़ का वकील हो गया

gunaahgaar



tum tto chup ho ye nazar izhaar na kar de
dekho kahin ruswaa sar-e-bazaar na kar de

yun safaai dogae agar tum sabke aage
duniya tumhe gunaahgaar qaraar na kar de

lafzon ke lehje badle badle se lagte hain
hawaa ka naya rukh kahin mausam bezaar na kar de

ye jo itna parhez kiya hai armaan-o-iraadon se
kahin ishq jeena dushwaar na kar de

Ab vo mujhse baat nahi karta


Ab vo mujhse baat nahi karta
Karta bhi hai tto aise jaise kuch hua hi nahi
Par kuch tto hua hai ke baat nahi hoti
Hoti bhi hai tto vo baat nahi hai...

Roothna uski aadat mae shaamil hai
Aur hum khudgarz humesha se hi thae 
Mushkil se basti-e-saahil dikhti hai jab bhi
Kashti dariya se zyaada hawaa ka rukh pakad leti hai
Ishq ab bhi hai shaayad par hoti mulaaqt nahi hai....

Lafzon se zyaada sannatae bolte hain darmiyaan
Garajtae hain adheron mae soch ke baadal
Barsaat rehti hain aankhon mae
Barasti bhi hai kabhi kabhi
Raat hoti hai par ab vo raat nahi hai...

Wednesday, June 12, 2013

इश्क़ अब तक हुआ नही

नज़रे मिली पर इशारा मिला नही
बेरूखी हुई पर हुआ कोई गिला नही
कोई हरक़त जिसपे इक जूस्तजू आए
उसके आने से पहले उसकी खुश्बू आए
चली अब तक है कोई हवा नही...

बिन हवा ही आँचल उड़ा
बिन पूछे दिल उसकी ओर मुड़ा
ओस से गीली घांस है जैसे
सोच भीगी है उसके आस से ऐसे
हटा अभी तक है इकरार का धुआ नही...

उसने अब तक दिल को छुआ नही
इश्क़ अब तक हुआ नही
पर फ़ासले कम हो रहे हैं
सपने आँखों को चुभो रहे हैं

माँगी अब तक है कोई दुआ नही...