दिल की बात दिल मे ही
रह जाए तो बुरा
हालात मासूम नज़र कह
जाए तो बुरा
मंज़ूर है इंतेज़ार
मे पत्थर हो जाएं आँखें
लुत्फ़-ए-दीदार मे अश्क़
बह जाए तो बुरा
मलाल ज़ाहिर ना कर पाओ
तो अच्छा
शुक्रियादा करना रह
जाए तो बुरा
खुश्क मौसम, खामोश वादी, रुके से कदम
मौजूदगी उसकी हवा कह
जाए तो बुरा
ishQ
21st May 2013
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