Wednesday, November 16, 2011

तितली



पाया उसे  पर  देखा  नहीं  कभी 
शायद  कुछ  दूरी  बाकी  है  अभी 

वो  जो  अपना  है , पर  इक  सपना  है 
कहानी  आधी  पूरी  बाकी  है  अभी 

मायूसी  के  नशे  मे  न  उठ  के  जा  “इश्क”
जाम  लिए  आता  साक़ी  है  अभी 

तितली  उढ़  के  बैठी  गुल  पे  जैसे  होठों  पे  होठ 
कुछ  इस  तरह  तस्वीर  आंकी  है  अभी 


 - ishQ

16th November 2011

Friday, November 11, 2011

इल्म--ए-इश्क



खुशबू  सुलग  उठे हवाओं म़े वो  जब आये 
उसका नाम  लेते  ही  मुस्कराहट  बेसबब आये 

दिन  गुज़र  जाता  है   दुनियादारी  म़े 
कमबख्त न  जाने  क्यों  हर  रोज़  यह  शब्  आये 

चाहने वालों  की  नज़रों  ने  सिखा  दिया  उन्हें  नाज़-ओ-अदा 
उनकी  इक  नज़र  से    हमे  काएदा-ओ-अदब  आये 

सब्र  की  हद्द  तक  आ  गया  हूँ  मैं 
उसको  इल्म--ए-इश्क  न  जाने  कब  आये 


ishQ

11.11.11


Sunday, November 06, 2011

गलत फ़हमी



हर  हमसफ़र  सनम  नहीं  होता 
हर दर्द  की  वजह  ग़म  नहीं  होता 


इसी गलत  फ़हमी  में  जी  गए  ज़िन्दगी 
कुछ  भी  ज्यादा  या  कम  नहीं  होता 


कुछ  शक्स  सब  कह  देते  हैं  ख़ामोशी  से 
उनम़े  लफ्ज़-ओ-दम  नहीं  होता 


जैसे  कुछ  जज़्बों  का  कोई  सबब  नहीं  होता 
कुछ  ज़ख्मो  का  मरहम  नहीं  होता 


 - ishQ

6th November 2011

Saturday, November 05, 2011

ज़िद


नयी मुलाक़ात , मुद्दा पुराना

इक लफ्ज़ के सौ मतलब बन जाना


मेरा जूनून, मेरी तड़प, मेरी तिशनगी

उसकी झलक, उसकी नज़र, उसका मुस्कुराना


गर मुमकिन हो तो ही वादा करो सनम

अंजाम न पहुंचे , उसे कहते हैं फ़साना



आरज़ू -ए -इश्क की हद देखिये

जैसे किसी आदत का ज़िद बन जाना


- इश्क


5th November 2011