पाया उसे पर देखा नहीं कभी
शायद कुछ दूरी बाकी है अभी
वो जो अपना है , पर इक सपना है
कहानी आधी पूरी बाकी है अभी
मायूसी के नशे मे न उठ के जा “इश्क”
जाम लिए आता साक़ी है अभी
तितली उढ़ के बैठी गुल पे जैसे होठों पे होठ
कुछ इस तरह तस्वीर आंकी है अभी
- ishQ
16th November 2011