Saturday, March 31, 2012

पाजेब





या   तो  दिल   मे   सैलाब   का  हिसाब   रख   लो 
या   चेहरे   पे   बेखुदी   का   नक़ाब   रख   लो 
    

उस   पल   का   इंतज़ार   है   मेरे   जानिब, जब   तुम 
अपने   पैरों   पे  हमारी  उँगलियों   की   पाजेब  रख   लो 


जागे  जागे  चलती   है   रात   साथ   मेरे 
कभी   अपनी   पलकों   पे   मेरा   भी   ख्वाब   रख   लो 


जब   'इश्क'  की   तड़प  हद्द  तक  आ    जाए 
सर्द   आहों   पे   होठों   की   ताब   रख   लो  



ishQ

31st March 2012




Sunday, March 25, 2012

शैतान


वो   ही   हर   ख्वाइश  वो  हर  अरमान  है 
उनकी  हर  अदा  हमारा  इम्तिहान  है 



उसकी  यादों  मे  सुकून  है  मगर  

इज़तेराब  की  लहरों  मे  दिल  हैरान  है 

बे-फ़िकरी   का   आलम   छाया   है   इस   कदर 
होने  को   कोई    ख़ता   बड़ी  नादान   है 

कितना   रोकूँ   सोच   की   दौड़   को 
धोका   देता   हुआ   दिल   शैतान  है  

इब्तेदा   हुई   है   जिस   सफ़र   की  हमसफ़र 
देखो   क्या   इन्तेहाँ-ए-दास्तान   है 

होश   गुम, आँखें   खुली,  सांसे  बे-परवाह 
‘इश्क’  की   शुरुआत  की   ये ही  पहचान   है  


ishQ

25th March 2012


Monday, March 19, 2012

सिलवट



नींद   कच्ची   और   ख्वाब   काँच   के 
दीदार  आधा  और  हिजाब  काँच  के 
 
आखें   खुली   हो   या   बंद   हो   पलकें 
तुम   ही  दिखते  हो  जैसे   हो  बाब  काँच  के 


तेरी  आहट  सुन   के, धड़कन   रुक  गयी 
छनक   उठे  दिल  के   असबाब  काँच  के 

रात   भर  बिस्तर   की   सिलवटों  मे   चुभते   रहे 
सवाल   काँच   के   और   जवाब   काँच   के 

जिस  शाम  हुस्न   की  टक्कर   हुई  ‘इश्क ’ से 
टूट  के  चकनाचूर  हुए  मेरे  जनाब  काँच  के 


ishQ

20th March 2012



Thursday, March 15, 2012

हसीन सवाल




ज़ंजीर  की  तरह  तेरा  ख़याल  आता  है 
रेशमी  धागों  का  जैसे  इक  जाल  आता  है 

कैदी  रहूँ  तेरा  या  तोड़  दूं  बेबसी, दिल  मे 
तुझसे  भी  हसीन  यह  हसीन  सवाल  आता  है 


या  तो  सब  कुछ  ही  चाहिए  या  कुछ  भी  नहीं 
तेरे  जूनून  का  कुछ  य़ू  दिल  मे उबाल आता  है 

बे-सबब  ही   आज कल  या  कोई  वास्ता  है  तुझसे  शायद 
जिधर  देखूं  हर  ज़र्रे  मे  रुख-ए-जमाल  आता  है 

लफ़्ज़ों  की  तासीर  तुमसे   क्या  होगी  'इश्क' 
हुस्न-ओ-अदा  का  जो   उसे  इस्तिमाल  आता  है 


ishQ

15th March 2012


Tuesday, March 13, 2012

पंखुड़ी




उड़ती हुई  आई  इक  पंखुड़ी  कहीं  से 
पलकों  से  ख़्वाबों  को  आवारा  कर  गयी 
सरक  के  रुखसार  से  होठों  पे  जा   अटकी 
इक  नई  शुरुआत  का  इशारा  कर  गयी 

इक  बार  तो  रोका  था  चाहत  के  झोंके  को 
 उसकी  खुशबू  दस्तक  दोबारा  कर गयी 


कोई  यकीन  नहीं  करता  मेरी  बातों  का 
कौन मानेगा  कि तन्हाई  मुझसे किनारा कर गयी 


यूँ  तो  मजमा  रहता  था  खामोशियों  का  यहाँ  
उसकी  हंसी  बे-नूर  ज़िन्दगी  को  सितारा  कर  गयी


साह़िर  की  तरह  उसकी  सादगी  की  छूअन    
'इश्क'  के  चिराग  मे  शरारा  कर  गयी  





ishQ

13th March 2012


Friday, March 09, 2012

गुरूर



ये जो आज हम तेरे दर आये हैं
बिलकुल अनजाने और बे-खबर आये हैं


रोक ली आह, आँसू और तमन्ना दर पे ही
भूल के भी वो अगर आये हैं


इक शक्स, इक पल, इक मुलाक़ात की बदौलत है
रूह पर जितने भी असर आये हैं


रकीब भी रफीक बन गए लेकिन
अज़ीज़ सामने निकल के ना-क़दर आये हैं


रात भर कशमकश थी गुरूर और ‘इश्क’ की
सेहर होते ही हम तेरे घर आये हैं


ishQ
 
9th March 2012
 

Tuesday, March 06, 2012

गुबार


 होठों पे आज कल इक सवाल आता है
आँखों मे बे-रंग सा गुलाल आता है


दर्द की हद्द को इतना पीछे छोड़ आए हैं
न गिला किसी से न दिल मे कोई मलाल आता है


जिस वक़्त ज़हन मे दुनिया का रिवाज़-ओ-हाल आता है
उस वक़्त मुझे बस तेरा ख़याल आता है


दिन और रात की दूरी यूँ सिमट गयी है ‘इश्क’
ख्वाब खुद नींद से अपना गुबार निकाल आता है


ishQ

7th March 2012

Sunday, March 04, 2012

मुकाबिले



उसे मुझसे, मुझे वक़्त से गिले हो गए
बनते बनते फासलों के सिलसिले हो गए




जितना मामूली था दिल का लगाना
उतने ही उलझे दिल के मामले हो गए




जिस बात का सुकून था और होने का इंतज़ार
उस उम्मीद की कोशिश भी मरहले हो गए




जला उम्मीद का शोला, जल रही थी साँसे
धड़कन बुझ गई, हम दिलजले हो गए




ख़ामोशी भी गूँज थी तेरी आस की 'इश्क'
अब तेरी सोच भी लफ़्ज़ों के मुकाबिले हो गए






ishQ
 
4th March 2012