Wednesday, August 29, 2012

अब ऐसे ही है जीना शायद



अब   ऐसे  ही   है   जीना   शायद
दिल   के   बगैर   होगा  सीना  शायद 


नाम  होठों   पे   आते   ही  पैमाना  चूम  लेना
पड़ेगा   अब   यू  ही   पीना   शायद  

धुंधला  चेहरा, फींकी आवाज़
डूब   रहा   है   इश्क   का   सफीना   शायद  


पा  के   खो   देना   और   खो   के   फिर   ढूढना
अब   ऐसे   ही   है   जीना   शायद  



ishQ

30th August 2012

Sunday, August 26, 2012

बे-सुध रातें



उनके   मिजाज़   कुछ   बदलने   लगे   हैं
ज़ुल्फ़   बे-परवाह   पर   पाँव   संभलने   लगे   हैं

चाहने   वालों   का   ये    आलम   है
उनके   नाम   पे   ही   दिल   बेहेलने   लगे   हैं

इक   ज़माना   था   बे-सुध   होती   थी   रातें
अब   पलकों   मे   सपने   पलने   लगे   हैं

हमे   भी   शायद   हो   गया   है   "इश्क"
ज़िक्र   कोई   करे   उनका   तो    जलने   लगे  हैं

ishQ
26th August 2012

Saturday, August 25, 2012

इक दिल ही नहीं


होशसमझनीयत   हर   चीज़   इश्क   मे   खो   बैठे
इक   दिल   ही   नहीं   जो   साथ   निभाता  नहीं

इक   मेरा   सनम , यादों   से   जाता   नही
इक   उनका  कासिदकभी  वक़्त   पे   आता   नहीं

इल्म   हो   जाता   है   मुझे   आवाज़   के   लहजे   से
चाहे   वो   लफ़्ज़ों   मे   कुछ   भी   बताता   नहीं

Thursday, August 23, 2012

वारदात



आज नए मौसम की शुरुआत हो गयी 
इक हसीन अजनबी से बात हो गयी 

घर से निकले थे सूखी सोच मे 
चार कदम पे ही बरसात हो गयी 

चंद लम्हों की गुफ्तगू मे ही 
मानो आईने के सामने खुद से मुलाक़ात हो गयी 

कुछ वो मुस्कुराए कुछ इश्क ने हौसला लिया 
रोकते थमते इक मासूम वारदात हो गयी 

ishQ
24th Aug 2012

Thursday, August 02, 2012

शाद चेहरे


सुना   है   मेरा  इक   रकीब   बन   गया   है
सुना   है   मुझे   वो   भुलाने   लगे   हैं

मुझे   इल्म   था   तन्हाईओं   का   हमेशा
पर   अब  खामोशियाँ   भी   सताने    लगे   हैं

चलो   अब   तो  घर   का   रुख  किया   जाए
यहाँ   शाद   चेहरे   नज़र  आने   लगे   हैं

मैं   अपनों   को   भूल   जाने   लगा   हूँ
और   भूले   हुए  शक्स   याद   आने   लगे   हैं


ishQ
Aug 2012

Wednesday, August 01, 2012

इश्तिहार


उठी  रगों   मे  आज  फिर  कैसी  रफ़्तार  है
खुद   लहू  बन  गयी   काटती तलवार   है

होठों   पे  इक   मुख़्तसर   सी  मुस्कान   आती   है  नज़र
और   आँखों   मे   रुका  हुआ  अश्क-ए -इसरार   है

यूँ   फिर आने का  कोई   तो   सबब   होगा   ज़रूर
तुझे   हो   न   हो   तेरे   जाने   का   मुझे   शुमार   है

ज़बा   पे  आ   के   रुकी   इक   बात   फिर   कोई   आज
इश्क  अपने   माजी   का   खुद   ही  इश्तिहार   है


ishQ
July 2012