उसकी आँखों मे जो ये तलवार सी धार है
मुस्कुरा के ज़ख्म खा रहे हैं न जाने क्या वार है
तीखी नज़र से जीत ली उसने ज़िन्दगी मेरी
हमे मंज़ूर अपनी ये मीठी सी हार है
वो सामने होता है तो वक़्त हथेली मे रेत की तरह निकल जाता है
वो नहीं है तो उसकी खुशबू ही उसका दीदार है
इश्क की इक अलग शक्सियत है जिसे समझ जाओ अगर
सुना है सच झूठ, सही गलत के पार है
ishQ
2nd January 2012