Monday, June 17, 2013

इश्क़ संभल गया



वो याद आए, मौसम बदल गया
पानी बरसा और जिस्म जल गया

ख़यालों मे रात कट गई
सोचते हुए दिन निकल गया

मुद्दतों किया इंतेज़ार जिसका
आप मिले, गुज़र वो पल गया

नज़र मिली, नज़र झुक गई
वो मुस्कुराए, दिल बहेल गया

इक कसक उठी आरज़ू-ए-दिल से
इक कसम याद आई, इश्क़ संभल गया

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