हलकी बारिश सा आया और गया
उसका अक्स मेरी रूह भिगो गया
अब तक नम है आस्तीन मेरी
वो रात मेरे काँधे पे रो गया
यूँ तो दर्द उठा नहीं है बरसों में
ज़ख्म ताज़ा है पर निशाँ खो गया
मुलाक़ात, गुफ्तगू, हँसना रोना हो गया
इश्क हो गया पर शक्स खो गया
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24th July 2012