ज़ंजीर की तरह तेरा ख़याल आता है
रेशमी धागों का जैसे इक जाल आता है
कैदी रहूँ तेरा या तोड़ दूं बेबसी, दिल मे
तुझसे भी हसीन यह हसीन सवाल आता है
या तो सब कुछ ही चाहिए या कुछ भी नहीं
तेरे जूनून का कुछ य़ू दिल मे उबाल आता है
बे-सबब ही आज कल या कोई वास्ता है तुझसे शायद
जिधर देखूं हर ज़र्रे मे रुख-ए-जमाल आता है
लफ़्ज़ों की तासीर तुमसे क्या होगी 'इश्क'
हुस्न-ओ-अदा का जो उसे इस्तिमाल आता है
ishQ
15th March 2012
2 comments:
Just Mind Blowing too good :)
KADAKKKK!!!
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