ये जो आज हम तेरे दर आये हैं
बिलकुल अनजाने और बे-खबर आये हैं
रोक ली आह, आँसू और तमन्ना दर पे ही
भूल के भी वो अगर आये हैं
इक शक्स, इक पल, इक मुलाक़ात की बदौलत है
रूह पर जितने भी असर आये हैं
रकीब भी रफीक बन गए लेकिन
अज़ीज़ सामने निकल के ना-क़दर आये हैं
रात भर कशमकश थी गुरूर और ‘इश्क’ की
सेहर होते ही हम तेरे घर आये हैं
ishQ
9th March 2012
2 comments:
Great... Loved it.
WOW its just amazing :)
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