उड़ती हुई आई इक पंखुड़ी कहीं से
पलकों से ख़्वाबों को आवारा कर गयी
सरक के रुखसार से होठों पे जा अटकी
इक नई शुरुआत का इशारा कर गयी
इक बार तो रोका था चाहत के झोंके को
उसकी खुशबू दस्तक दोबारा कर गयी
कोई यकीन नहीं करता मेरी बातों का
कौन मानेगा कि तन्हाई मुझसे किनारा कर गयी
यूँ तो मजमा रहता था खामोशियों का यहाँ
उसकी हंसी बे-नूर ज़िन्दगी को सितारा कर गयी
साह़िर की तरह उसकी सादगी की छूअन
'इश्क' के चिराग मे शरारा कर गयी
ishQ
13th March 2012
6 comments:
Beautiful expression!
Beautiful expression!
Beautiful expression!
Direct dil se.....
Amazing !
Cheers to your inspiration K :)
Loved it....
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