होठों पे आज कल इक सवाल आता है
आँखों मे बे-रंग सा गुलाल आता है
दर्द की हद्द को इतना पीछे छोड़ आए हैं
न गिला किसी से न दिल मे कोई मलाल आता है
जिस वक़्त ज़हन मे दुनिया का रिवाज़-ओ-हाल आता है
उस वक़्त मुझे बस तेरा ख़याल आता है
दिन और रात की दूरी यूँ सिमट गयी है ‘इश्क’
ख्वाब खुद नींद से अपना गुबार निकाल आता है
ishQ
7th March 2012
2 comments:
Tremendous , really liked it :)
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