उसे मुझसे, मुझे वक़्त से गिले हो गए
बनते बनते फासलों के सिलसिले हो गए
जितना मामूली था दिल का लगाना
उतने ही उलझे दिल के मामले हो गए
जिस बात का सुकून था और होने का इंतज़ार
उस उम्मीद की कोशिश भी मरहले हो गए
जला उम्मीद का शोला, जल रही थी साँसे
धड़कन बुझ गई, हम दिलजले हो गए
ख़ामोशी भी गूँज थी तेरी आस की 'इश्क'
अब तेरी सोच भी लफ़्ज़ों के मुकाबिले हो गए
ishQ
4th March 2012
2 comments:
Too good :)
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