बेपरवाही से बता देता हूँ तुम्हे सारे राज़ अपने,
और एक तुम हो, मुझसे ही छुपाते हो रंग-ए-अंदाज़ अपने
मैं बद-हाली मे भी बहाल रहता हूँ,
ये देख हो जाते हैं मुझसे, नाराज़ अपने
बुतो पे एतबार का लिहाज़ ज़रूरी है मगर,
मदद-ए-इंसान ही हो दुआ-ओ-नमाज़ अपने
गर तू है, तो तुझको भी इल्म हो रहा होगा,
वक़्त आ रहा है के दिखाओ जलवा-ए-इजाज़ अपने
तुम भी हत्यार ले के घूमते हो,
इश्क़,
संभाल के इस्तिमाल करो ये अल्फ़ाज़ अपने
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