उनके मिजाज़ कुछ बदलने लगे हैं
ज़ुल्फ़ बे-परवाह पर पाँव संभलने लगे हैं
चाहने वालों का ये आलम है
उनके नाम पे ही दिल बेहेलने लगे हैं
इक ज़माना था बे-सुध होती थी रातें
अब पलकों मे सपने पलने लगे हैं
हमे भी शायद हो गया है "इश्क"
ज़िक्र कोई करे उनका तो जलने लगे हैं
ishQ
26th August 2012
3 comments:
that's more like the mallick i know. good one.
खुशकिस्मती आपकी जो इश्क का एहसास छूने लगा है आपको
हम तो अब भी पलकों पे अरमान सजाये बैठे हैं
इन आँखों को इंतज़ार है सपनों के हकीकत बनने का
हथेली पे जान, दिल में इश्क का फरमान लिए बैठे हैं
really random one dude...written spontaneously after ages...but so fun to write responses like this :)
Post a Comment