आज नए मौसम की शुरुआत हो गयी
इक हसीन अजनबी से बात हो गयी
घर से निकले थे सूखी सोच मे
चार कदम पे ही बरसात हो गयी
चंद लम्हों की गुफ्तगू मे ही
मानो आईने के सामने खुद से मुलाक़ात हो गयी
कुछ वो मुस्कुराए कुछ इश्क ने हौसला लिया
रोकते थमते इक मासूम वारदात हो गयी
ishQ
24th Aug 2012
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