इक तरफ जिद्द है उसके बगैर जिया नहीं जाता
पर इक अनकही हद्द को पार किया नहीं जाता
जिस बात पे सांस रुके और दम निकल जाए
इक हकीकत है जिसे करार-ए-ख्वाब दिया नहीं जाता
हवाओं मे ख़लिश उठी है कोई पोशीदा
जाने क्यों इक नाम अब हमसे लिया नहीं जाता
साकी, पयमाना या जाम किसी को तो हुई है रंजिश मुझसे
अब इक भी घूँट हमसे पीया नहीं जाता
जिस्म और रूह मे येही इक फर्क देखा है
"इश्क" का ज़ख्म होता है जो सिया नहीं जाता
- ishQ
01.01.2012
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