इक हसरत है जो रूकती नहीं
चलती दिल पे कोई सख्ती नहीं
जिस्म और आँखें टूट जाए मगर
ज़हन मे तेरी सोच थकती नहीं
इक हलकी सी ठोकर और चोट हरा उधर
इधर सौ दुआएं जान को लगती नहीं
”इश्क” लाख कोशिश कर लो महफ़िल मे
मुस्कराहट आँखों की शरारत ढकती नहीं
1 comment:
Beautiful!! Super duper lyke :) Can relate!!
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