कोई बात हो, झूठा या सच्चा नहीं लगता
पर जब कोई बात न हो, तो अच्छा नहीं लगता
सुकून -ऐ-राह, खूबसूरत वादियाँ
पर उसका साथ न हो, तो अच्छा नहीं लगता
बादल गरजे, दिल तडपे, अरमाँ भीग उठे
उसके बाद बरसात न हो, तो अच्छा नहीं लगता
दिन भर की भीढ़ के बाद शाम का सन्नाटा
और हाथों मे हाथ न हो, तो अच्छा नहीं लगता
सारे रिश्ते छोड़ के, सारे एहसास भूल कर भी अगर
'इश्क' से मुलाक़ात न हो, तो अच्छा नहीं लगता
ishQ
9th November 2012
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