यूँ तो वो कुछ बताता नहीं है
पर चाह के वो छुपाता नहीं है
ऐसा नहीं है के हम मिलते नहीं अब
पर अब वो आँखें मिलाता नहीं है
दिन की रौशनी मे ख्वाब अब आते नहीं है
वरना इक रात न गुज़री जब वो सताता नहीं है
कई दिन हुए मैं किसी से रूठा नहीं हूँ
कई दिनों से मुझे कोई मनाता नहीं है
याद नहीं कितने अरसे हुए उसके रुख्सत को
पर वो हादसा "इश्क" भूल पाता नहीं है
ishQ
2nd November 2012
2 comments:
Sirjeeeee!!!
Lage rahoo.....
Bahut khuub IshQ.. Love the way u express..
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