इक उम्र हो गयी थी उनको देखे हुए
इक नज़र पड़ी और फिर इक हूक सी उठी
वक़्त गुज़र गया था पर वो लम्हा रुका सा था
फिर इक बार रोका दिल को हमने
महफ़िल मे नज़र बचाते हुए
अचानक नज़र मिली दुर्र जाते हुए
जाने पहले कौन मुस्कुराया
फिर इक बार रोका दिल को हमने
दो कदम वो चले उस तरफ
कुछ फासले कम हुए इस तरफ
अलफ़ाज़ लबों पे आने को थे
फिर इक बार रोका दिल को हमने
अब कहूं, तब कहूं
क्या कहूं जब कहूं
आँखें सुना रही थी “इश्क” की दास्तान
फिर इक बार रोका दिल को हमने
दिल ने कहा न जा और करीब अब
दिल ने कहा लगा कोई तरकीब अब
दिल ने कहा अब न रुक पाएगा
फिर इक बार रोका दिल को हमने
ishQ26th October 2012
2 comments:
:) beautiful
Honest expressions...
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