खुशबू सुलग उठे हवाओं म़े वो जब आये
उसका नाम लेते ही मुस्कराहट बेसबब आये
दिन गुज़र जाता है दुनियादारी म़े
कमबख्त न जाने क्यों हर रोज़ यह शब् आये
चाहने वालों की नज़रों ने सिखा दिया उन्हें नाज़-ओ-अदा
उनकी इक नज़र से हमे काएदा-ओ-अदब आये
सब्र की हद्द तक आ गया हूँ मैं
उसको इल्म--ए-इश्क न जाने कब आये
ishQ
11.11.11
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