दिल है आज खुले आसमान मे उड़ता परिंदा कोई,
फिर एक चाहत हुई है इसमे ज़िंदा कोई
कुछ ऐसी कढ़की है आज बिजली बादलों मे,
खुदा से लड़ने निकला है फिर बंदा कोई
सुर्ख आँखें, बेचैन साँसें, होंठों पे आह,
मेरे सनम की गली का ही है बाशिंदा कोई
आज वो हरक़त हो गयी है तुमसे इश्क़,
तुम पे एतबार ना करेगा आईंदा कोई
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