Monday, January 21, 2013

हम मिले नहीं तो क्या हुआ?




मैंने देखा है तुम्हें जब भी
हर आरज़ू पूरी होती लगी है
मैंने सोचा है तुम्हें जब भी
एक ही तमन्ना होती है
हम मिले नहीं तो क्या हुआ

गर ख्वाब में ही मिलना है तो
मुझे नींद में ही रहने दो
यूँ ही होंठ से होंठों को सिलना है तो
मुझे नींद में ही रहने दो
मैं यूँ ही मिलता रहूँगा हर रात तुमसे

तुम्हारे इशारों से ही मुझे
मिल जाते हैं जवाब सवालों के
तुम्हारी बातों में काट लेता हूँ दिन
खुद से बातें करता हुआ
तुम्हारा ज़िक्र और किस  से करूँ?

मेरी ज़िन्दगी में  तुम्हारे आने से
उम्मीद मिल गयी है जीने की
तुम्हें  देख के रुक जाती हैं साँसे
और तुमसे ही हैं धड़कन सीने की
हम मिले नहीं तो क्या हुआ



 - ishQ
22nd January 2013

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