तेरा ख़याल दिल को महका गया ऐसे
पहली बारिश की खुशबू हो जैसे
रूह रह गयी प्यासी फिर से
अर्ज़ को बादलों की जुस्तजू हो जैसे
खाली घर , अँधेरा दिन और गूंजता है सन्नाटा
पानी नहीं खिड़की पे गिरते आंसू हो जैसे
चमकती तलवार सी पार हुई जिस्म-ओ-जिगर से
रंग भी कुछ यूँ था के लहू हो जैसे
ishQ
13th July 2012
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