गिनते हैं धडकनों को
नापते हैं गहराई दिल की
खुद को खोने मे
दिल्लगी काम आई दिल की
इक चेहरे का नूर था दाखिल
खिड़की खुली पाई दिल की
दिल के जाने के बाद
बड़ी याद आई दिल की
मुद्दतों बाद उनके दीदार पे
महसूस हुई अंगड़ाई दिल की
‘इश्क’ की इक गाठ ने
उलझनें सुलझाई दिल की
ishQ
21st April 2012
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