कभी ना-दीदा, कभी फकीर हूँ मैं
आप अपना रकीब तो कभी बशीर हूँ मैं
इब्तेदा पे न खबर थी इस हिरास की, और अब
मैं ही निशाना , कभी खुद ही तीर हूँ मैं
जाने किस तैश मे है आब -ए-आइना, ऐ ज़िन्दगी
टूटे आइने मे मुस्कुराती तस्वीर हूँ मैं
इस कशमकश से तू ही उभार ‘इश्क’ , जहां
मैं ही हाकिम और खुद ही ज़ंजीर हूँ मैं
ना-दीदा – greedy
फकीर – monk
रकीब – competitior
बशीर – messenger of good news
हिरास – confusion
हाकिम – judge
आब-ए-आइना – polish of मिर्रोर
ishQ
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