कोई मांगे तो दे देना अपनी हैसियत के हिसाब से
आखरी वक़्त दौलत न बचा पाओगे मौत के ताब से
रुख कर लेना हमारी महफ़िल का भी एक बार
थक जाओ गर कभी जो अपने इन्क़लाब से
मिलते ही दोस्तों से गले मिलना न छोड़ना
न जाने किस बात पे दुश्मनी हो जाए जनाब से
इब्तेदा -ए -इश्क मे इंतज़ार न हो कभी
हर रिश्ते की शुरुआत होती है इक आदाब से
Q
3rd September 2012
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